राजस्थान के भरतपुर में इस बार पिछले कई वर्षों की तुलना मेंसरसों की बंपर पैदावार हुई है. भरतपुर संभाग के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक देशराज सिंह ने बताया कि अकेले भरतपुर जिले में 2.52 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर सरसों का उत्पादन हुआ है. जबकि पिछले वर्ष 2.25 लाख हेक्टेयर भूमि पर सरसों उत्पादन हुआ था. बता दें,भरतपुरमेंसरसोंकीबंपरपैदावारकईराज्योंमेंतेलसप्लाईसेकिसानोंकोमुनाफा
भरतपुर जिले में पैदा होने वाले सरसों के तेल की गुणवत्ता बेहद अच्छी मानी जाती है और यही कारण है कि भरतपुर संभाग में पैदा होने वाले सरसों के तेल की मांग देश के कई राज्यों में होती है.इस बार भरतपुर जिले में 2.52 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर सरसों की फसल बोई गई थी. कृषि विभाग की मानें तो भरतपुर संभाग में सबसे ज्यादा सरसों उत्पादन अलवर में हुआ. यहां, करीब 2.78 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर सरसों उत्पादन हुआ है. वहीं, पूरे भरतपुर संभाग में करीब 8.50 लाख हेक्टेयर भूमि पर सरसों उत्पादन हुआ है. बता दें, भरतपुर संभाग में अलवर, भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर और करौली जिले आते हैं.देशराज सिंह के मुताबिक, इस बार सरसों की बंपर उपज के पीछे का एक कारण यह है कि पिछले साल सरसों के दाम ऊपर रहे थे, इसलिए किसान बढ़िया मुनाफे के लिए सरसों का उत्पादन ज्यादा करते हैं. वहीं, पानी की किल्लत की वजह से भी किसान सरसों की खेती ज्यादा बेहतर समझते हैं. सरसों की खेती के लिए सिर्फ एक बार सिंचाई की जाती है और सरसों के दाम भी मंडी में अच्छे मिलते हैं. जबकि, गेहूं की खेती में चार बार सिंचाई करनी पड़ती है. एक हेक्टेयर कृषि भूमि में करीब 1.8 टन सरसों का उत्पादन होता है.ऑयल मिल संचालक लक्ष्मण गर्ग ने बताया कि पूरे भरतपुर जिले में 80 से 100 ऑयल मिल संचालित हैं. यहां से देश के कई राज्यों में सरसों के तेल का निर्यात होता है. लक्ष्मण गर्ग ने कहा कि भरतपुर जिले में पैदा होने वाली सरसों के तेल की गुणवत्ता बेहद ज्यादा अच्छी है. क्योंकि यहां जिस पानी से सरसों का उत्पादन होता है वह सरसों के तेल की गुणवत्ता बढ़ा देता है.लक्ष्मण गर्ग के मुताबिक, फिलहाल सरसों की बिक्री 150 रुपए प्रति किलो ग्राम के हिसाब से ऑयल मिल के जरिए हो रही है. वहीं, आम आदमी के लिए सरसों के तेल का भाव करीब ₹160 से ₹165 के करीब है. उन्होंने कहा कि फिलहाल सरसों का तेल सस्ता नहीं होगा क्योंकि किसान ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए सरसों को एक साथ नहीं बेच रहे हैं. पिछले वर्ष 8500 रुपये प्रति कुंटल के हिसाब से सरसों की बिक्री हुई थी. इसलिए किसान अपनी सरसों को घरों में लगा कर बैठ गया, जब सरसों के भाव ज्यादा बढ़ जाएंगे तब किसान मंडियों में सरसों को बेचेगा.सरसों के ज्यादा उत्पादन पर लाखन सिंह हिंगोली, बलवीर सिंह, भूपेंद्र सिंह, राजेंद्र सिंह का कहना है कि भरतपुर जिले में हमेशा पानी की किल्लत बरकरार रहती है. यहां गेहूं का उत्पादन करना मुश्किल है. वहीं, सरसों के उत्पादन में कम पानी लगता है. इसलिए किसान सरसों की खेती करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि सरसों की मंडी में किसानों को ज्यादा अच्छी कीमत मिल जाती हैं, जिससे मुनाफा होता है.
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