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नौकरानी और प्रेमिका एक साथ

时间:2023-09-27 15:44:15 来源:2023 में कितने ग्रहण लगेंगे 作者:आईपीएल सचेडूले 阅读:453次
मेरी पिछली कहानी थीमेरी कामवासना तेरा बदन“आह … इस्ससस … बस ना रे … और कितना अन्दर डालेगा?नौकरानीऔरप्रेमिकाएकसाथ साले मेरी फट गयी ना … हाय साले फाड़ डाली … आज चार साल बाद मिली हूँ … तो चोद दे मनमाफिक.रितिका आज फुल फॉर्म में थी. वो मेरे सामने नंगी पड़ी चुदवा रही थी. चार साल, पूरे चार साल बाद उसकी चुत मेरे लंड के नीचे आयी थी. रितिका मेरे कॉलेज के जमाने की गर्लफ्रेंड थी, जो चार साल पहले मुझसे बिछुड़ गयी थी. कॉलेज के जमाने में उसकी मैंने कम से कम सौ बार ली थी. एक ऐसी मस्त लड़की थी रितिका … जिसका हर अंग जैसे तराशा हुआ था. सेक्स की आग जैसे बदन को ढकने की बजाए उघाड़ने का काम कर रही थी.एक बार मैंने उससे पूछा भी था कि इतना सेक्स तेरे में कैसे आया?उसने बताया था कि मम्मी डैडी का सेक्स देखते देखते उसको भी सेक्स चढ़ जाता था. लेकिन जमाने के डर से सिर्फ उसने अपनी उंगलियों से ही काम चला लिया था.वो मुझे कहने लगी- तुम पहली बार जब मिले, तो मुझे तुम में वो मर्द दिखा, जो मेरी सेक्स की इच्छा को पूरा कर सकता था. पहली बार जैसे तुमने मेरे होंठ छुए, तो मेरी फुद्दी गीली हो गयी थी. लेकिन तुमने सिर्फ मम्मे और चूतड़ों को दबाकर ही संतोष कर लिया था. मैं तुम्हारी इस हरकत से भिन्ना गयी थी. क्या तुम तब मुझे पेलना नहीं चाहते थे?मैंने रितिका से कहा- ऐसी कोई बात नहीं थी यार, लेकिन जब पहली बार था न … एक डर सा मन में लगा रहता था कि अगर तुम चिल्ला दी, तो क्या होगा?फिर उसने मुझसे पूछा- तुम्हारी मुझे पेलने की इच्छा कब हुई?मैंने कहा- कई बार … लेकिन समय अच्छा नहीं था. पहली बार कॉलेज के ग्राउंड में जब तुम अपने मम्मे दबवा कर चूत में उंगली करवा रही थीं, तब मेरा मन तुमको चोदने का बहुत था.“अरे तो चोदना था न तभी?”“नहीं यार … वो साला प्यून दूर से हम दोनों को देख रहा था.”“फिर?”“तुम्हारे घर पर जब तुम्हारे मम्मी पापा बाहर गांव गए थे, तब पहली बार मैंने तुम्हारी चुत मारी थी … याद है न?”“हां रे … क्या मस्त चुदाई की थी तुमने!”“यार, तुमको याद है पहली बार तुम्हारी गांड में मेरा लंड भूल से चला गया था, तो तुम कैसे बेडरूम में नंगी नाची थीं?”“साले बदमाश, पहली बार इतना दर्द हुआ था कि मैं सहन ही नहीं कर पायी थी. और साले तू तो उस वक्त बड़ा हंस रहा था.”“हां यार … तुम कैसे गांड पकड़कर डांस कर रही थी, ये देखकर ही मुझे हंसी आ रही थी?”“चल हट साले, तेरे लंड पर तो मैं उसी दिन से फ़िदा हो गई थी.”कुछ इस तरह से सेक्सी बातें करते थे हम दोनों. चार साल पहले उसके पापा का ट्रांसफर दूसरे शहर में हुआ, तो हमारा संपर्क जैसे टूट ही गया था. बीच बीच में उसे मेरी याद आती, तो वो फोन करती थी.चार दिन पहले जब उसकी कॉल मेरे मोबाइल पर आयी, तो मेरे लंड ने खुलकर सलामी दी. साली थी ही इतनी मस्तानी.अरे हां … मेरा परिचय तो देना मैं भूल ही गया. मैं राकेश एक सेल एक्जिक्यूटिव हूँ. आगरा में रूम लेकर रहता हूँ. वैसे मेरा रूम मोहल्ले से थोड़ा अलग है … तो किसी से कोई ख़ास जान पहचान नहीं हो सकी थी.मोहल्ले में एक आंटी हैं. मैंने उन्हें किसी काम वाली को भेजने को कहा था. उन्होंने उषा नाम की एक काम वाली को भेजा था. मैं अकेला ही रहता हूँ, तो रोज दिन में मिलना मुश्किल था. इसलिए ऊषा रविवार को मुझसे मिलने आई. उसे देखते ही मेरे लंड ने सलामी दे दी.वाह, क्या कांटा माल था … एक नंबर की छमिया, भरे भरे मम्मे, गोल गोल चूतड़ आंखें जैसे बोल रही हों कि आओ मुझको चोद दो. एकदम चुदाई का आमंत्रण देने वाली नशीली आंखें थीं.मैंने उससे बात की, तो उसने कहा- बरतन भांडे के मैं हजार रुपये लूंगी. बाकी कुछ करना है, तो उसके एक्स्ट्रा पैसे लगेंगे.मैंने एक आँख मूंदकर उसे पूछा- बाकी यानि?मेरे ये सवाल पूछने पर वो बिदक गयी- ओ साहब … कुछ ऐसा वैसा न समझना … हां बता दिया.“अरे मतलब झाड़ू पौंछा वगैरह करेगी ना?”उसने कहा- हां उसके एक्स्ट्रा पैसे लगेंगे.मैं बोला- ठीक है, कितने लेगी?उसने एक उंगली दिखाई, मैं समझ गया कि उसकी क्या मंशा है, साली ने पहली उंगली के बजाए बीच की उंगली दिखाई थी. इसका मतलब मेरे जैसे खिलाड़ी को समझ नहीं आए, तो मैं खिलाड़ी कैसा?दूसरे दिन सवेरे सवेरे वो काम करने आई तो लाल साड़ी और हरा ब्लाउज पहन कर गांड ठुमकाते हुए मेरे सामने काम करने लगी.मैंने उससे पूछा- तेरा मरद क्या करता है?तो उसने हंस कर कहा- कुछ नहीं.मैं चक्कर खा गया- यानि?ऊषा- साला दारू पीता है और रोज रात को मारता है?यानि ये मेरे लायक माल था. अगर उसको एक रोने के लिए कन्धा मिले, तो ये माल सहज पट सकता था. लेकिन साली थी तीखी मिरची, हाथ ना आने वाली. मैंने भी ठान लिया था कि इसकी गांड और चुत एक बार तो लेनी ही है.मैंने प्लान बनाया. उसके बाद जब जब वो आती, मैं उसको अंडरवियर में ही रिसीव करता और उसके सामने अपने लंड को खुजाता रहता.वो तिरछी नजरों से मेरे लंड को हसरत भरी निगाहों से देखती रहती.मैं इस बात को जानता था कि पट्ठी मेरा लंड देख रही है, मगर मैं भी ध्यान नहीं देता … क्योंकि मैं जानता था कि ये ज्यादा से ज्यादा दो चार दिन में मेरे नीचे सोएगी ही.दो तीन दिन निकल जाने के बाद एक दिन वो सवेरे आयी, तो उसने सलवार कमीज पहनी थी. उसके मम्मों के उठानों को देखकर मेरा लंड ठुमके मारने लगा. आज इसका तिया-पांचा एक करना ही था.वो काम करने लगी, तो मैंने उससे कहा कि मैं बाथरूम जा रहा हूँ, थोड़ा घर का ध्यान रखना. बाथरूम में जाते ही मैंने मेरे सारे कपड़े खोल दिए और नल चालू कर दिया.मैं जानता था कि साली बाथरूम में पक्का झाँक रही होगी, तो मैंने मेरे लंड को साबुन लगाकर पूरा टाइट कर दिया.अब वो पूरी गीली हो गयी होगी, ये भी मैं जानता था. अचानक मैंने बाथरूम का दरवाजा खोलकर उसे अन्दर खींच लिया. मेरे आकस्मिक हमले से वो मेरी बांहों में आकर समा गयी.उसके गोल गोल मम्मे मेरी छाती में दब गए.उसने कहा- बाबू छोड़ो मुझे … ये क्या कर रहे हो?तो मैंने उससे कहा कि तुम छुपछुप कर क्या देख रही थी?“नहीं … कुछ भी नहीं?”“क्यों झूठ बोल रही हो? मेरे लंड पर तुम्हारी नजर थी. ये मुझे पता है.”“हाय, यानि मैं देख रही हूँ, ये तुमको पता था?”“हां मेरी जान …”मैंने उसे जान कहा, तो वो पिघल गई- बाबू तुम तो छुपे रुस्तम निकले.“और तुम छुपी आग.”“क्या?”“अब क्या … क्या?”“हाय मेरे हाथ तो छोड़ो बाबू?”“भागोगी तो नहीं?”वो हंसकर बोली- भागना ही होता, तो मैं ऐसे छुप कर देखती ही क्यों?“आज एक तैयारी करनी है?”उसने पूछा- कौन सी बाबू?मैंने कहा कि मेरी एक्स गर्लफ्रेंड आज मुझसे मिलने आ रही है, उसको क्या दूँ, ये समझ में नहीं आ रहा है.उसने मेरा लंड हाथ में पकड़कर कहा- इसको पेश करो न साब.“यार आज तो तुमको पेलना है, तू साली मिरची की तरह तीखी और मस्त है.”“आज मेरी बहुत दिन की इच्छा पूरी तो कर ही दो बाबू.”“क्या?”“मेरी आप आज गांड मारो.”“वाह, क्या बात कही तूने, आज तो लंड को दोनों खुराक मिलेंगी?”“हां बाबू, वो सिन्हा साहब थे ना … वो मेरी गांड पर ही फिदा थे. उनकी बीवी गांड नहीं मराती थी, तो वो मेरे को गांड मरवाने का अलग पैसा देते थे. उनसे गांड मरवाने की आदत तो लग गयी, लेकिन मरद साला ढिल्ला है … चूत में ही बराबर नहीं करता, तो गांड क्या मारेगा.”मैं- आज मैं तुम्हारी गांड ही मारना चाहूंगा.उसने अपनी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार पैरों से निकाल दी. मैंने उसकी कमीज की बटनें खोल दीं, फिर उसके दोनों मम्मों को पीछे से रगड़ना शुरू कर दिया.वो- आह … मस्त … ऐसे ही करो … तुम्हारा लंड मेरी गांड में घुस रहा है बाबू … वाह … कितना हार्ड है.फुल सेक्सी सीन था आज मेरी भी एक इच्छा पूरी होने वाली थी. कई दिन से मैंने किसी की गांड नहीं मारी थी. आज सामने से ही ऑफर था, तो मैं क्यों पीछे हटता. आज तो ऊषा के दोनों छेद लेने की तमन्ना थी.उषा ने कहा- आह बाबू … आज फाड़ ही दो गांड को … ऐसा समझो कि ये तुम्हारे लिए ही बनी है.मैं- चल आज तेरी ही तमन्ना पूरी करता हूँ … और कुछ चाहिए तुमको?ऊषा- हां बाबू अपनी गर्लफ्रेन्ड को तुम चोदते कैसे हो … वो देखना चाहती हूँ.मैं- ठीक है मेरी जान … मेरी रंडी. आज वो भी सही. दोपहर को वो जब आएगी, तो उसके पहले मैं तुम्हें कॉल कर दूंगा और सामने का दरवाजा सिर्फ लगा के छोड़ दूंगा. तुम धीरे से अन्दर आना, तुम्हें पूरा सिनेमा दिख जाएगा.फिर मैंने उसकी जो गांड मारी, जन्नत का मजा आ गया. क्या मखमली चीज थी साली मादरचोद … वाह मेरा लंड तो जैसे जन्नत का मजा ले रहा था.दोपहर तीन बजे रितिका का कॉल आया, तो मैं उसको लेने उसके होटल पर चला गया. मुझे देखकर ही वो मुझसे चिपट गयी. उसके भरी चूचियां मेरी छाती के गड़कर दिल पर छुरी चला रही थीं. सवेरे सवेरे लंड ने उषा को ले लिया था, तो अभी उसे भी कोई जल्दी नहीं थी.रितिका आज भी कांटा माल दिखती थी. उसकी भरी हुई जांघें, वो चुत का त्रिकोण … वो आधे आधे किलो के दोनों मम्मे … वो दो तरबूज जैसे चूतड़ … हाय क्या मस्त चीज थी यार … साला आदमी का लंड एकदम से सलामी दे दे.उसको मैं अपने रूम पर ले आया.वो- जान, कितने दिनों के बाद मिले हैं न!मैं- हां यार … तुम्हारी बहुत याद आती थी.रितिका- आज मैं तुम्हारी अतिथि हूँ क्या खिलाओगे मुझे?“तुम्हारी पसंद का केला.”“हाय गुड़ खाके मर जावां.”“कितनी की लीं?”“ज्यादा नहीं सिर्फ तीन की.”“क्या पूरा बजाया.”“हां यार आज सवेरे ही एक को बजाकर आ रहा हूँ.”“कौन थी?”“मेरी काम वाली.”“भोसड़ी के, काम वाली को भी नहीं छोड़ा?”“वो चीज ही ऐसी है कि केला देने का मन बन गया.”“अच्छा, मैं भी देखना चाहूंगी तेरी काम वाली को.”“कहो तो उसको भी सम्मेलन में बुला लूँ?”“पहले मेरी इच्छा तो पूरी होने दे … फिर उसके साथ भी करेंगे.”“यार आज मन थ्री-सम करने का है?”“ठीक है बुला ले … लेकिन एक शर्त है … मेरी पूरी मारने के बाद ही उसे बुलाना.”“अरे उसको तुझे मुझसे चुदते देखना है.”“ये कैसी वाहियात बात कह रहे हो तुम?”“हां यार … बहुत भूखी है मादरचोदी.”“अच्छा … फिर तो एक बार देखने को बनता ही है मादरचोदी रांड को … तेरी पसंद है … साली पटाखा होगी न?”“अच्छा में कॉल करके बुला लेता हूँ उसको.”मैंने जैसे ही उषा को फोन लगाया, तो रितिका ने मेरे हाथ से मोबाइल खींच लिया. मेरे “रुक रुक..” बोलने तक, उसने उषा से बात शुरू भी कर दी थी.“क्यों रे साली … सुना है बड़ी नमकीन है तेरी चुत, खूब परपराती है क्या?”उषा के समझ में एकदम कुछ नहीं आया. वो पूछने लगी- आप कौन? और ये सब क्या बोल रही हैं?रितिका के हाथ से मोबाईल लेकर मैंने उससे कहा- मैं राकेश बोल रहा हूँ, तुम जिससे बात कर रही थी, वो रितिका थी.ये सुनकर वो हंस पड़ी- तुम्हारी गर्लफ्रेंड तो तुमसे भी ज्यादा सेक्सी बात करती है बाबू.“हां यार, वो है ही ऐसी कि चुदाई के वक्त किसी की परवाह नहीं करती.”“अभी मैं काम पर हूँ … आधे घंटे में रूम पर पहुंचती हूँ.”फोन कट हो गया.रितिका ने पूछा- क्या कहा उसने?मैंने कहा कि वो कह रही है पहले इसकी चुत और गांड ढीली कर, तब तक मैं आती हूँ.रितिका- कमीने … साले … आज तो तेरी चांदी है. पहले मेरी लेगा, फिर उसको चोदेगा.मैं- जे बात, अब आएगा मजा … साली … आज तो तेरी चुत का बाजा बजाऊंगा.रितिका- तू मेरी चुत का बाजा बजाता है कि मैं तेरे लंड को ढीला कराती हूँ … ये तो बिस्तर पर ही देखेंगे.मैंने वैसे ही रितिका को गोद में उठाया. मेरा लंड उसकी गांड से टच कर रहा था.मैं- साली … कमीनी, नीचे पेंटी पहनी ही नहीं क्या तूने?रितिका- नहीं यार, यहाँ आकर निकालना ही था, तो फिर पहनने का क्या फ़ायदा?उसकी इन सेक्सी बातों को सुनकर मेरे लंड का तनाव एकदम से बढ़ गया. अब तनकर वो लकड़ी हो चुका था. आज रितिका की घनघोर चुदाई करने का मन था.उसको पलंग पर लिटा कर मैंने पहला ही झटका मारा कि वो चिल्ला उठी- आह साले … धीरे कर ना … कमीन चुत फाड़ दी मादरचोद.“तेरी माँ की चुत.”“उसकी बाद में, पहले मेरी ले न हरामी.”“वाओ क्या बात है यार … तेरी चुत क्या मस्त है. आजा, आज तुझे मस्त बजाता हूँ मेरी छिनाल.”“उम्म्ह… अहह… हय… याह… साले … ले ना..”ऐसा कहकर वो मेरे लंड के प्रहार सहन कर रही थी. उतने में परदा हिला. मैं समझ गया कि उषा परदे के पीछे हाजिर हो गयी है.अब तो फुल फ़ोर्स में रितिका को बजना ही था.“रितिका आज मेरा मूत पीएगी?”“हां जान, तुम जो भी दोगे, वो सारा पी लूंगी.”उधर पर्दे के पीछे उषा की हालत क्या हो रही होगी, वो सोच कर मेरे लंड में और जोश भर गया था. अचानक परदा थोड़ा सा हटा, तो मैंने देखा कि उषा अपनी सलवार उतार कर गांड में उंगली डाल रही थी. वह मेरे लंड को देखकर अपनी उंगली को गांड में डाल कर मुँह से चूस रही थी.मुझे लगा उसके अन्दर आने का समय हो चुका है. साली मस्त छिनाल थी.मैं रितिका की चुदाई आधी छोड़कर उठा और मैंने परदा एकदम से सरका दिया. मेरे अधूरी चुदाई से भिन्नाई रितिका मेरी तरफ देखने लगी.“रुक अभी और मजा आएगा.”हाय क्या सीन था. एक तरफ एक्स गर्लफ्रेंड नंगी पड़ी थी. दूसरी तरफ मेरी सेक्सी काम वाली गांड खोले खड़ी थी. दोनों साली चुदक्कड़ थीं.मैंने उषा को नजदीक बुलाया. उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया, तो उसकी सलवार एकदम नीचे गिर गई.मादरचोदी ने कोई पैंटी पहनी ही नहीं थी.मैंने कहा- जल्दी से कमीज उतार माँ की लौड़ी.तो पहले उसने रितिका की तरफ देखा, मुस्काई और उसने अपनी कमीज उतार दी.रितिका चिल्लाई- हाय क्या मस्त चूचे है तेरे छिनाल … चूमने को दिल करता है … आजा मुझे चुसवा दे.ऊषा- रितिका जी, रुक जाओ ना. अभी तो आयी हूँ … नंगी हुई हूँ. एडजस्ट तो होने दो.रितिका- ठीक है … आज तू मेरे बाद चुदेगी मेरी बन्नो.इधर रितिका बेड पर सोई थी. मैंने जम्प ही लगाया था कि उसने पैर ऊपर कर लिए.मैंने रितिका की चूत में लंड को लैंड किया ही था कि उषा ने अपनी चुत मेरे चेहरे पर लगा दी. उसकी चुत के शहद को चूसते हुए मैंने रितिका की चुदाई शुरू की ही थी कि उषा ने पलटी मारी और अपनी गांड मेरे मुँह के सामने कर दी.लंड रितिका की चुत में और मुँह में गांड का मजा … ये बात किसी जन्नत के सुख से कम थी. दोस्तो, ये नौकरानियां भी कभी कभी बड़ी मजा देती हैं. एक बात है कि अगर गर्लफ्रेंड कोआपरेटिव हो, तो सेक्स का मजा कुछ और ही होता है. उसमें भी उषा जैसी कामवाली हो, तो चुदाई में चार चाँद तो लगना लाजमी है.आपका अभि देवले[email protected]

(责任编辑:एलन रिकमैन)

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